Year: 2008
बातचीत
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मैं चौबीसों घंटे लेखक ही होता हूँ – अल्ताफ़ टायरवाला
भारतीय अंग्रेज़ी लेखक अल्ताफ टायरवाला से सामयिकी के संपादक मंडल के सदस्य डॉ सुनील दीपक की बातचीत
नया तकनीकी विश्व रचेगा भारत
इस उभरती दुनिया के लिये उपकरण तथा सेवाओं के निर्माण में भागीदारी से भारतीय कंपनियाँ न केवल घरेलू बाजार में लाभ कमा सकती हैं बल्कि वैश्विक बाज़ारों में भी पैठ बना सकती हैं।