सामयिकी पर प्रकाशन का मूल उद्देश्य है कि विषय सोचने पर मजबूर करे और आगे बहस का सबब बने। हम ऐसी सामग्री प्रकाशित करना चाहते हैं जो बेहद काम की हो, अन्यत्र सरलता से उपलब्ध नहीं होती हो, मसलन हिन्दी में तकनीक व विज्ञान पर लेख। खोजपरक लेखों का खास स्वागत है, जैसे यह लेख और यह भी। सामान्य लेख में भी रिसर्च का अंश हो यह हमारा उद्देश्य है, जैसे यह लेख केवल वेबारू के बारे में बात कर सकता था, पर इसमें कुछ रोचक पहलू और वेबारू से सीधी बातचीत शामिल की गई। जब लेख बहस का मुद्दा हो तो बात दोनों पक्षों की रखना उचित होता है, मसलन कोला पर यह बहस या शहरीकरण पर यह लेख। लेख रूटीन ना बनें, यह उद्देश्य है। यह भी देखें।
निम्नलिखित विषयों पर मौलिक व केवल सामयिकी के लिये लिखे आलेखों का स्वागत है:
हमारे पसंदीदा विषय
- तकनलाजी, विज्ञान, पर्यावरण व इंटरनेट पर लेख
- सम सामयिक घटनाक्रम पर बहस, विचार, रपट
- राजनीति व कूटनीति विषयक
- अर्थनीति, निवेश, कृषि व उद्योग संबंधी
- सामाजिक विषय
- साक्षात्कार
ये विषय भी हमारे लिये अछूत नहीं
- मानवतावादी लेख (जो किसी धर्म, संप्रदाय, विचारधारा की नहीं, मानवता और जीवन की बात करें)
- सेहत व खेल कूद संबंधित लेख
- बच्चों, उनके भविष्य, उनके भले से संबंधित लेख
- मीडिया, टेलिविजन (पर गॉसिप नहीं)
- सेक्स, पारिवारिक संबंध, नारी विषयक लेख
- पुस्तक, फिल्म, संगीत संग्रह, उत्पाद या सेवा की निष्पक्ष समीक्षा
निम्नलिखित विषय पर लेख हम स्वीकार नहीं करते, क्षमा करें!
- कहानी, नाटक व लघु कथायें
- व्यंग्य, चुटकुले व एसमएस
- कविता, गीत, गज़ल
- गॉसिप मय फिल्मी लेख
- ब्रिटनी स्पीयर्स के नेवल रिंग या बेडरूम के विन्यास की तथा कथा
- ज्योतिष या भविष्यवाणी संबंधी लेख
- केवल किसी खास विचारधारा या व्यक्ति की स्तुति करते लेख
- धार्मिक द्वेष, लैंगिक या जातिय भेदभाव का प्रतिपादन करते लेख
- “संभोग के दस नये आसन” सरीखे लेख
- कैलेंडर देख कर लिखे व पचीसों अखबारों को भेजे गये फोटोकॉपी अलेख
- आपके मुहल्ले में हुई गोष्टी, या आपकी दसवीं स्वप्रकाशित कविता संकलन के लोकार्पण की प्रेस विज्ञप्ति
- आपके क्षेत्रिय राजनेता का दोस्ताना साक्षात्कार
- १९८० में नवनीत मासिक पत्रिका में छपे आपके लेख का नया संस्करण
सामयिकी के लिये लिखे गये मौलिक लेखों पर सामान्य पारिश्रमिक (100 रुपये प्रति आलेख) की व्यवस्था है। यदि आप हमारे लिये लिखना चाहते हैं तो लेख का विचार हमें भेजें। हो सकता है हम इसे लिखने में आपका साथ भी दें, आखिरकार हम कोलेबरैटिव लेखन के पक्के समर्थक जो ठहरे।
पाठक उवाच